Friday, December 24, 2021

 

तुलसी पूजन दिवस 25 दिसंबर

इस बात से तो सब वाकिफ ही हैं कि 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है। लेकिन इस बात को शायद बहुत कम लोग जानते होंगे कि इस दिन तुलसी पूजन दिवस भी मनाया जाता है।  सनातन धर्म में तुलसी का हमेशा से ही धार्मिक, आयुर्वेदिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक महत्व रहा है | एक तरफ तुलसी की पूजा का महत्व है और दूसरी तरफ उसी को एक औषधि के रूप में सेवन किया जाता है | पर्यावरण की दृष्टि से भी तुलसी काफी लाभकारी है | वातावरण में स्वच्छता एवं शुद्धता, प्रदूषण-शमन, घर परिवार में आरोग्य की जड़ें मजबूत करना आदि तुलसी के अनेक लाभ हैं | तुलसी का सेवन करने से क्रोध पर नियंत्रण रहता है | तुलसी  शरीर को स्फूर्ति प्रदान करती है | तुलसी सौंदर्यवर्धक एवं रक्तशोधक है । गुणों की दृष्टि से यह संजीवनी बूटी है | गुणों की बात करें तो तुलसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है | तुलसी बहुत से प्रकार की है लेकिन श्यामा तुलसी को अथर्ववेद में महा औषधि कहा गया है | भगवान विष्णु को प्रिय होने के कारण तुलसी को वैष्णवी भी कहा जाता है | फ्रेंच डॉक्टर विक्टर रेसीन कहते हैं- “तुलसी एक अदभुत औषधि है, जो ब्लडप्रेशर व पाचनतंत्र के नियमन, रक्तकणों की वृद्धि व मानसिक रोगों में अत्यंत लाभकारी है | भगवान महादेव जी कार्तिकेय से कहते हैं- “सभी प्रकार के पत्तों और पुष्पों की अपेक्षा तुलसी ही श्रेष्ठ मानी गयी है । कलियुग में तुलसी का पूजन, कीर्तन, ध्यान, रोपण और धारण करने से वह पाप को जलाती है और स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करती है । जो तुलसी के पूजन आदि का दूसरों को उपदेश देता और स्वयं भी आचरण करता है, वह भगवान के परम धाम को प्राप्त होता है । (पद्म पुराण, सृष्टि खंडः  58,131-132)

तुलसी से होने वाले लाभों से सारा विश्व लाभान्वित हो इस उद्देश्य से पूज्य बापू जी ने 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस मनाना शुरु करवाया इस पहल का स्वागत करते हुए बड़े स्तर पर यह दिवस मनाया जाने लगा है | हिंदू धर्म में इसे पूजनीय माना गया है और आयुर्वेद में तुलसी को अमृत कहा गया है, क्योंकि ये औषधि का काम भी करती है। बता दें कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां हमेशा सुख-शांति का वास होता है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पत्ते के बिना भगवान श्री हरि भोग स्वीकार नहीं करते हैं। तुलसी को बहुत से नामों से पुकारा जाता है जैसे : वृंदा, वृंदावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी  | कहते हैं कि जो व्यक्ति तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

स्कंद पुराण के अनुसार जिस घर में तुलसी का बगीचा होता है अथवा प्रतिदिन पूजन होता है, उस गर में यमदूत प्रवेश नहीं करते। तुलसी की उपस्थिति मात्र से नकारात्मक शक्तियों एवं दुष्ट विचारों से रक्षा होती है। गरुड पुराण के अनुसार तुलसी का वृक्ष लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप जलकर नष्ट हो जाते हैं। आज के दिन केवल तुलसी की पूजा ही नहीं होती है बल्कि एक अभियान के तहत घर-घर तुलसी का पौधा लगाया जाता है। प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाता है |  तुलसी केवल एक पौधा ही नहीं बल्कि धरा के लिए वरदान है और इसी वजह से हिंदू धर्म में इसे पूज्यनीय माना गया है | आयुर्वेद में तुलसी को अमृत कहा गया है क्योंकि ये औषधि भी है और इसका नियमित उपयोग आपको उत्साहित, खुश और शांत रखता है | भगवान विष्णु की कोई भी पूजा बिना तुलसी के पूरी नहीं मानी जाती है | 

आज के दिन केवल तुलसी की पूजा ही नहीं होती है बल्कि आज के दिन एक अभियान के तहत घर-घर तुलसी लगाया जाता है |  'घर-घर तुलसी लगाओ अभियान' वेदांत सेवा समिति एवं महिला उत्थान मंडल द्वारा शुरू किया गया था | मेडिकल एक्सपर्टों के मुताबिक असंख्य रोगों का उपचार तुलसी (Tulsi) से मिल सकता है |  इसकी पत्तियों के सेवन से आम लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है |  तुलसी पौधा 24 घंटे आक्सीजन प्रदान कर संपूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित होने से भी बचाता है |  घर में तुलसी का पौधा होने से कीटाणुओं और वायरस से भी बचाव मिलता है | अभी विज्ञानी आविष्कार भी इस बात को स्पष्ट करने में सफल हुए हैं कि तुलसी में विद्युत तत्त्व उपजाने और शरीर में विद्युत-तत्त्व को सजग रखने का अदभुत सामर्थ्य है। जैसे वैज्ञानिक कहते हैं कि तुलसी का इतना सेवन करने से कैंसर नहीं होता लेकिन हम लोगों ने केवल कैंसर मिटाने के लिए ही तुलसी नहीं चुनी है। हम लोगों का नज़रिया केवल रोग मिटाना नहीं है बल्कि मन प्रसन्न करना है, जन्म मरण का रोग मिटाकर जीते जी भगवद् रस जगाना है। 

सम्पूर्ण विश्व-मानव तुलसी की महिमा को जाने और इसका शारीरिक, मानसिक, दैविक और आध्यात्मिक लाभ ले इस हेतु ‘सबका मंगल सबका भला चाहने वाले पूज्य बापू जी ने 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस मनाने की सुंदर सौगात समाज को दी है। विश्वभर में अब यह दिवस व्यापक स्तर पर मनाया जाने लगा है। 25 दिसम्बर के निमित्त कई कार्यक्रम करते हैं एवं हमारे बाल, युवा एवं प्रौढ़ – सभी को संस्कारों की ओर प्रेरित कर महान भारतीय संस्कृति की ओर ले जाते हैं । अतः भारत के सभी सपूतों को चाहिए कि वे अपने-अपने गली-मुहल्लों में ‘तुलसी पूजन दिवस कार्यक्रम करें और अपनी संस्कृति के गौरव को समझें समझायें और लाभ उठायें । जो ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के सत्सकंल्प में भागीदार बनते हैं वे संतों का कृपाप्रसाद पाने के अधिकारी बन जाते हैं ।

 

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