Thursday, February 10, 2022

सुंदरबनी उपजिला में कल से अनिश्चितकाल आंदोलन

          परिसीमन आयोग द्वारा प्रस्तुत मसौदा 

       रिपोर्ट से जम्मू कश्मीर वासी नाखुश 




पिछले एक साल से जम्मू कश्मीर में परिसीमन का काम चल रहा था, हाल ही में आई परिसीमन आयोग की मसौदा रिपोर्ट से दोनों प्रांतों के लोग खुश नहीं है जबकि सभी कश्मीर-आधारित दलों ने रिपोर्ट पर अपनी अत्यधिक नाखुशी व्यक्त की है, यहां तक कि जम्मू-आधारित दलों और संगठनों ने भी असंतोष व्यक्त किया है। कश्मीर की पार्टियों ने इसे अनुचित और पक्षपातपूर्ण बताते हुए रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। कश्मीर को आयोग द्वारा प्रस्तावित सात नई सीटों में से केवल एक आवंटित किया गया है, जम्मू को अन्य छह सीटों के साथ, जम्मू के लिए 43 की तुलना में कश्मीर के लिए क्षेत्र की कुल 47 सीटों को लेकर जनता में रोष है। इसने एक मजबूत भावना को जन्म दिया है कि जनसंख्या की कसौटी पर ध्यान नहीं दिया गया है। 

मसौदा रिपोर्ट जम्मू में भी अच्छी नहीं रही है। जम्मू-आधारित पार्टियां इस बात से असंतुष्ट हैं कि जम्मू को छह नई सीटें आवंटित किए जाने के बाद भी कश्मीर में विधानसभा में कश्मीर की अधिक सीटें बनी हुई हैं। जब से अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया था, तब से यह उम्मीद की जा रही है कि जम्मू-कश्मीर में किए गए परिवर्तनों का उद्देश्य जम्मू क्षेत्र को सशक्त बनाना होगा। जैसे, कई संगठनों और व्यक्तियों ने आशा व्यक्त की थी कि परिसीमन आयोग जम्मू के पक्ष में राजनीतिक संतुलन को झुकाएगा और यह कि विधानसभा में सीटों का अधिक हिस्सा नहीं होने पर इस क्षेत्र को समान रूप से वहन करेगा। जम्मू आधारित पार्टियों, संगठनों और जनता का कहना है कि परिसीमन 2011 के जनसंख्या गणना  के मुताबिक हुआ है जो कि गलत है क्योंकि 2011 का जनसंख्या गणना सही ढंग से नहीं हुई है, उसमें जम्मू से पक्षपात किया गया है इसलिए जम्मू और कश्मीर में सीटों का आवंटन बराबरी का हो।

दोनों तरफ की पार्टी और लोगों का कहना है कि जो दो क्षेत्रों, दक्षिण कश्मीर(अनंतनाग) और राजौरी को मिलाकर एक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के रूप में एक नया चमत्कारिक आविष्कार किया है, जिस से इन दोनों क्षेत्रों के निवासी न खुश है क्योंकि इन दोनों क्षेत्रों के निवासियों की अलग-अलग आकांक्षाएं, समस्याएं और चुनौतियां हैं। आयोग इस तरह के प्रयोग ना करें और लोगों की संवेदनाओं के साथ ना खेले, जिससे जनता में रोष पैदा हो।

इसी के चलते राजौरी के उप जिला सुंदरबनी के लोग भी परिसीमन आयोग से खुश नहीं है। वहीं बी डी सी अध्यक्ष अरुण शर्मा  का कहना है कि परिसीमन आयोग के माध्यम से सुंदरबनी के दो फाड़ किए जाने के बाद लोगों की भावनाओं, आकांक्षाओं और राजनीति हितों पर कुठाराघात होने के बाद अब इसके राजनीतिक नुकसान की भरपाई हेतु कल से सुंदरबनी में एक अनंत काल तक चलने वाले आंदोलन की शुरुआत की जा रही है।

जिसमें सुंदरबनी एवं इसके आसपास के इलाकों के लोगों को सादर आमंत्रित किया गया है ताकि भारत सरकार द्वारा परिसीमन आयोग के माध्यम से सुंदरबनी के दो टुकड़े किए गए हैं और सुंदरबनी की सीधी-सादी और भोली भाली जनता को कश्मीर के अनंतनाग के साथ जुोड़ा है, उससे छुटकारा दिलाया जा सके एवं सुंदरबनी के लोगों को अलग विधानसभा क्षेत्र मिले, उन्हें उनकी पहचान मिले ताकि सुंदरबनी के लोगों की पिछली तीन पीढ़ियों द्वारा राजनीतिक हक प्राप्त करने के लिए शुरू की गई लड़ाई, एक सफल अंजाम तक पहुंच पाए।


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