|| शिव तांडव स्तोत्रम ||
शिव तांडव स्तोत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने की स्तुति है। शिव तांडव स्तोत्र भगवान शिव के परम भक्त रावण द्वारा रचित एक स्तोत्र है।
शिव तांडव स्तोत्र का अर्थ?
तांडव शब्द की उत्पत्ति ‘तंदुल‘ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ उछलना होता है। वैसे तो शिव तांडव आज कल सभी करते हैं, लेकिन तांडव नृत्य केवल पुरुषों को करने की ही अनुमति है। महिलाओं को तांडव करना मना है।
कब कब शिव तांडव स्तोत्र का पाठ सर्वोत्तम माना गया है?
अगर स्वास्थ्य की समस्याओं का कोई समाधान न निकल पा रहा हो और तंत्र मंत्र या शत्रु बाधा परेशान करे। आर्थिक या रोजगार की समस्याएं हों। जीवन में कोई विशेष उपलब्धि के लिए। किसी भी ग्रह की कोई बुरी दशा हो।
शिव तांडव स्तोत्र पाठ करने का उचित विधि क्या है?
प्रातः काल या प्रदोष काल में इसका पाठ करना सर्वोत्तम माना जाता है। पहले भगवान शिव जी को प्रणाम करें, उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद शिव तांडव स्तोत्र का पाठ गाकर करें। अगर नृत्य के साथ इसका पाठ करें तो सर्वोत्तम माना जाता है। पाठ के बाद भगवान शिव जी का ध्यान करें और अपनी प्रार्थना करें।
कैसे रचा गया शिव तांडव स्त्रोत?
रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। एक बार उसने भगवान शिव से लंका चलने के लिए कहा। लेकिन भगवान शिव ने मना कर दिया। तब अंहकार में आकर रावण ने कैलाश पर्वत को उठा लिया। जिससे भगवान शिव अत्याधिक क्रोधित हो गए और रावण के अंहकार को तोड़ने के लिए भगवान शिव ने अपने पैर के अंगूठे से कैलाश पर्वत को दबा दिया। जिसकी वजह से रावण के हाथ का अंगूठा कैलाश पर्वत के नीचे दब गया, अंगूठा निकालने का रावण ने बहुत प्रयास किया पर वह सफल न हो पाया। अंत में रावण ने भगवान शिव की प्रशंसा में शिव तांडव स्तोत्र को रच डाला और भगवान शिव की स्तुति करने लगा। शिव तांडव स्तोत्र से भगवान शिव अत्याधिक प्रसन्न हो गए और भगवान शिव ने लंका नरेश को रावण नाम से संबोधित किया।
|| १ ||
जटा टवी गलज् जल प्रवाह पावि तस्थले, गलेव लम्ब्य लम्बितं भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम्।
डमड्ड डमड्ड डमड्ड ड्मन निनाद वड् डमर्वयं ,चकार चण्ड ताण्डवं तनो तुनः शिवः शिवम् ।।
उनके बालों से बहने वाले जल से उनका कंठ पवित्र है,
और उनके गले में सांप है जो हार की तरह लटका है,
और डमरू से डमड्ड डमड्ड डमड्ड की ध्वनि निकल रही है,
भगवान शिव शुभ तांडव नृत्य कर रहे हैं, वे हम सबको संपन्नता प्रदान करें।
His throat is pure with the water flowing from his hair,
And around his neck is a snake that hangs like a necklace,
And the sound of Dumdum Dumdum Dumdad is coming out of the damaru,
Lord Shiva is doing the auspicious tandava dance, may he bless us all.
|| २ ||
जटा कटाह सम्भ्रमं भ्रमन निलिम्प निर्झरी, विलोल वीचि वल्लरी विराज मान मूर्धनि ।
धगद् धगद् धगज् ज्वलल् ललाट पट्ट पावके, किशोर चन्द्र शेखरे रतिः प्रति क्षणं मम ।।
मेरी शिव में गहरी रुचि है,
जिनका सिर अलौकिक गंगा नदी की बहती लहरों की धाराओं से सुशोभित है,
जो उनकी बालों की उलझी जटाओं की गहराई में उमड़ रही हैं?
जिनके मस्तक की सतह पर चमकदार अग्नि प्रज्वलित है,
और जो अपने सिर पर अर्ध-चंद्र का आभूषण पहने हैं।
I am deeply interested in Shiva, whose head is adorned with the undulating streams of the ethereal river Ganges, rising deep into the tangled locks of his hair? Whose head is ignited with a dazzling fire, and who wears a crescent moon ornament on his head.
|| ३ ||
धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधु बंधुरः, स्फुरद् दिगन्त सन्तति प्रमोद मान मानसे ।
कृपा कटाक्ष धोरणी निरुद्ध दुर्धरा पदि, क्वचिद् दिगम्बरे मनो विनोद मेतु वस्तुनि ।।
मेरा मन भगवान शिव में अपनी खुशी खोजे,
अद्भुत ब्रह्माण्ड के सारे प्राणी जिनके मन में मौजूद हैं,
जिनकी अर्धांगिनी पर्वतराज की पुत्री पार्वती हैं,
जो अपनी करुणा दृष्टि से असाधारण आपदा को नियंत्रित करते हैं, जो सर्वत्र व्याप्त है,
और जो दिव्य लोकों को अपनी पोशाक की तरह धारण करते हैं।
May my mind find its happiness in Lord Shiva, all beings in the marvelous universe whose heart is present, whose consort is Parvati, the daughter of the king of mountains, who by her compassionate gaze controls the extraordinary calamity, which pervades the cosmos, and who conquers the celestial realms. Wear it like your dress.
|| ४ ||
जटा भुजङ्ग पिङ्गलस् फुरत् फणा मणि प्रभा, कदम्ब कुङ्कुम द्रव प्रलिप्त दिग्वधू मुखे ।
मदान्ध सिन्धु रस् फुरत् त्वगत रीय मेदुरे, मनो विनोद मद्भुतं बिभर्तु भूत भर्तरि ।।
मुझे भगवान शिव में अनोखा सुख मिले, जो सारे जीवन के रक्षक हैं,
उनके रेंगते हुए सांप का फन लाल-भूरा है और मणि चमक रही है,
ये दिशाओं की देवियों के सुंदर चेहरों पर विभिन्न रंग बिखेर रहा है,
जो विशाल मदमस्त हाथी की खाल से बने जगमगाते दुशाले से ढंका है।
May I find unique happiness in Lord Shiva, who is the savior of all life, the hood of his crawling snake is reddish-brown and the gem is shining, it is spreading various colors on the beautiful faces of the goddesses of the directions, that of a huge drunken elephant. It is covered with a sparkling scarf made of skin.
|| ५ ||
सहस्र लोचन प्रभृत्य शेष लेख शेखरः, प्रसून धूलि धोरणी विधू सराङ्घ्रि पीठ भूः ।
भुजङ्ग राज मालया निबद्ध जाट जूटकः, श्रियै चिरया जायतां चकोर बन्धु शेखरः ।।
भगवान शिव हमें संपन्नता दें,
जिनका मुकुट चंद्रमा है,
जिनके बाल लाल नाग के हार से बंधे हैं,
जिनका पायदान फूलों की धूल के बहने से गहरे रंग का हो गया है,
जो इंद्र, विष्णु और अन्य देवताओं के सिर से गिरती है।
May Lord Shiva bless us, whose crown is the moon, whose hair is tied to the necklace of a red serpent, whose foot is darkened by the flow of flower dust, which falls from the heads of Indra, Vishnu and other gods.
|| ६ ||
ललाट चत्वरज्वलद् धनंजयस् फुलिङ् भा , निपित पंच सायकं नमन निलिम्प नायकम् ।
सुधा मयूख लेखया विराज मान शेखरं , महा कपालि सम्पदे शिरो जटाल मस्तु नः ।।
शिव के बालों की उलझी जटाओं से हम सिद्धि की दौलत प्राप्त करें,
जिन्होंने कामदेव को अपने मस्तक पर जलने वाली अग्नि की चिनगारी से नष्ट किया था,
जो सारे देवलोकों के स्वामियों द्वारा आदरणीय हैं,
जो अर्ध-चंद्र से सुशोभित हैं।
From the tangled locks of the hair of Shiva, who destroyed Kamadeva with the spark of fire burning on his head, revered by the lords of all the worlds, adorned with a crescent moon.
|| ७ ||
कराल भाल पट्टिका धगद् धगद् धगज् ज्वलद् , धनंजया हुती कृत प्रचण्ड पंच सायके ।
धरा धरेन्द्र नन्दिनी कुचाग्र चित्र पत्रक, प्रकल्प नैक शिल्पिनि त्रिलोचने रर्ति मम ।।
मेरी रुचि भगवान शिव में है, जिनके तीन नेत्र हैं,
जिन्होंने शक्तिशाली कामदेव को अग्नि को अर्पित कर दिया,
उनके भीषण मस्तक की सतह डगद् डगद्… की घ्वनि से जलती है,
वे ही एकमात्र कलाकार है जो पर्वतराज की पुत्री पार्वती के स्तन की नोक पर,
सजावटी रेखाएं खींचने में निपुण हैं।
I am interested in Lord Shiva, who has three eyes, who offered the mighty Kamadeva to the fire, the surface of his fierce head burns with the sound of thunder, he is the only artist who can touch the tip of the breast of Parvati, the daughter of the mountain king. Feather,
Skilled in drawing decorative lines.
|| ८ ||
नवीन मेघ मण्डली निरुद्ध दुर्धरस् फुरत् , कुहू निशिथिनी तमः प्रबन्ध बद्ध कन्धरः ।
निलिम्प निर्झरी धरस् तनो तु कृति सिन्धुरः , कला निधान बन्धुरः श्रियं जगद् धुरन्धरः ।।
भगवान शिव हमें संपन्नता दें,
वे ही पूरे संसार का भार उठाते हैं,
जिनकी शोभा चंद्रमा है,
जिनके पास अलौकिक गंगा नदी है,
जिनकी गर्दन गला बादलों की पर्तों से ढंकी अमावस्या की अर्धरात्रि की तरह काली है।
May Lord Shiva give us prosperity, He bears the burden of the whole world, Whose beauty is the moon, Who has the supernatural river Ganges, Whose neck is black like the midnight of the new moon covered with clouds.
|| ९ ||
प्रफुल्ल नील पङ्कज प्रपंच कालिम प्रभा , वलम्बि कंठ कंदली रूचि प्रबद्ध कन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं , गजच्छिदान्ध कच्छिदं तमंत कच्छिदं भजे ।।
मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनका कंठ मंदिरों की चमक से बंधा है,
पूरे खिले नीले कमल के फूलों की गरिमा से लटकता हुआ,
जो ब्रह्माण्ड की कालिमा सा दिखता है।
जो कामदेव को मारने वाले हैं, जिन्होंने त्रिपुर का अंत किया,
जिन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों को नष्ट किया, जिन्होंने बलि का अंत किया,
जिन्होंने अंधक दैत्य का विनाश किया, जो हाथियों को मारने वाले हैं,
और जिन्होंने मृत्यु के देवता यम को पराजित किया।
I pray to Lord Shiva, whose throat is tied with the radiance of the temples, hanging with the grace of blue lotus flowers in full bloom, which looks like the blackness of the universe. The one who killed Kamadeva, the one who ended Tripura, the one who destroyed the bonds of earthly life, the one who ended the sacrifice, the one who destroyed the Andhaka Daitya, the one who kills the elephants, and the one who defeated Yama, the god of death. Did.
|| १० ||
आखर्व सर्व मङ्गला कला कदम्ब मंजरी , रस प्रवाह माधुरी विजृम्भणा मधु व्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं , गजान्त कान्ध कान्तकं तमंत कान्तकं भजे ।।
मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनके चारों ओर मधुमक्खियां उड़ती रहती हैं
शुभ कदंब के फूलों के सुंदर गुच्छे से आने वाली शहद की मधुर सुगंध के कारण,
जो कामदेव को मारने वाले हैं, जिन्होंने त्रिपुर का अंत किया,
जिन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों को नष्ट किया, जिन्होंने बलि का अंत किया,
जिन्होंने अंधक दैत्य का विनाश किया, जो हाथियों को मारने वाले हैं,
और जिन्होंने मृत्यु के देवता यम को पराजित किया।
I pray to Lord Shiva, around whom the bees keep flying
Because of the sweet aroma of honey coming from the beautiful bunches of the auspicious Kadamba flowers, who is the one who killed Kamadeva, who destroyed Tripura, who destroyed the bonds of worldly life, who put an end to Bali, who destroyed the dark demon Kiya, the one who killed the elephants, and who defeated Yama, the god of death.
|| ११ ||
जयत् वदभ्र विभ्रम भ्रमद् भुजङ्ग मश्वस , द्विनिर्गमत् क्रम स्फुरत् , कराल भाल हव्य वाट् ।
धिमिद् धिमिद् धिमिद् ध्वनन् मृदङ्ग तुङ्ग मंगल , ध्वनि क्रम प्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ।।
शिव, जिनका तांडव नृत्य नगाड़े की ढिमिड ढिमिड
तेज आवाज श्रंखला के साथ लय में है,
जिनके महान मस्तक पर अग्नि है, वो अग्नि फैल रही है नाग की सांस के कारण,
गरिमामय आकाश में गोल-गोल घूमती हुई।
Shiva, whose tandava dance is in rhythm with the dhimid dhimid roaring series of nagadas, whose great head is ignited, that fire is spreading due to the snake's breath, swirling round and round in the majestic sky.
|| १२ ||
दृषद् विचित्र तल्पयोर भुजङ्ग मौक्ति कस्रजोर , गरिष्ठ रतन लोष्ठयोः सुहृद् विपक्ष पक्ष योः ।
तृणारविन्द चक्षुषोः प्रजा मही महेन्द्रयोः , सम प्रवृति कः कदा सदा शिवं भजाम्यहम् ।।
मैं भगवान सदाशिव की पूजा कब कर सकूंगा, शाश्वत शुभ देवता,
जो रखते हैं सम्राटों और लोगों के प्रति समभाव दृष्टि,
घास के तिनके और कमल के प्रति, मित्रों और शत्रुओं के प्रति,
सर्वाधिक मूल्यवान रत्न और धूल के ढेर के प्रति,
सांप और हार के प्रति और विश्व में विभिन्न रूपों के प्रति?
When will I be able to worship Lord Sadashiva, the eternal benefic deity, who has equanimity towards emperors and people, towards the straw of grass and lotus, towards friends and enemies, the most valuable gems and heaps of dust, snakes and Towards defeat and to the various forms in the world?
|| १३ ||
कदा निलिम्प निर्झरी निकुंज कोटरे वसन् , विमुक्त दुर्मतिः सदा शिरः स्थ मंजलिम वहन् ।
विलोल लोल लोचनो ललाम भाल लग्नकः , शिवति मंत्र मुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ।।
मैं कब प्रसन्न हो सकता हूं, अलौकिक नदी गंगा के निकट गुफा में रहते हुए,
अपने हाथों को हर समय बांधकर अपने सिर पर रखे हुए,
अपने दूषित विचारों को धोकर दूर करके, शिव मंत्र को बोलते हुए,
महान मस्तक और जीवंत नेत्रों वाले भगवान को समर्पित?
When can I be happy, living in a cave near the supernatural river Ganges, with my hands tied all the time on my head, washing away my tainted thoughts, speaking the Shiva mantra, Lord with great head and lively eyes Dedicated to?
|| १४ ||
निलिम्प नाथ नागरी कदम्ब मौल मल्लिका , निगुम्फ निर्भक्षरन्म धूष्णिका मनोहरः ।
तनो तुनो मनो मुदं विनोदिनिं महर्निशं , परिश्रय परम् पदम् तदङ्ग जत्विषम चयः ।।
देवांगनाओं के सिर में गूँथे पुष्पों की मालाओं के झड़ते हुए सुगंधमय पराग से मनोहर, परम शोभा के धाम महादेवजी के अंगों की सुंदरताएँ परमानंदयुक्त हमारे मन की प्रसन्नता को सर्वदा बढ़ाती रहें |
May the beauty of the parts of Mahadevji, the abode of supreme splendor, always increase the happiness of our hearts filled with ecstasy.
|| १५ ||
प्रचंड वाडवा नल प्रभा शुभ प्रचारणी , महाष्ट सिद्धि कामिनी जनाव हूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाह कालिक ध्वनिः , शिवेति मंत्र भूषगो जगज् जयाय जायताम् ।।
प्रचण्ड बड़वानल की भांति पापों को भस्म करने में स्त्री स्वरूपिणी अणिमादिक अष्ट महासिद्धियों तथा चंचल नेत्रों वाली देवकन्याओं से शिव विवाह समय में गान की गई मंगलध्वनि सब मंत्रों में परमश्रेष्ठ शिव मंत्र से पूरित, सांसारिक दुःखों को नष्ट कर विजय पाएं |
Like a raging Badwanal, in order to consume sins, the mangal sound sung at the time of Shiva's marriage to the female form of the Animadik Ashta Mahasiddhis and the Devkanyas with fickle eyes, filled with the supreme Shiva mantra in all the mantras, get victory by destroying worldly sorrows.
|| १६ ||
इमं हि नित्य मेव मुक्त मुत्त मोतमं स्तवं , पठन स्मरन ब्रुवन् नरो विशुद्धि मेति सन्ततम् ।
हरे गुरौ सुभक्ति माशु याति नान्यथा गतिं , विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिन्तनम् ।।
इस स्तोत्र को, जो भी पढ़ता है, याद करता है और सुनाता है,
वह सदैव के लिए पवित्र हो जाता है और महान गुरु शिव की भक्ति पाता है।
इस भक्ति के लिए कोई दूसरा मार्ग या उपाय नहीं है।
बस शिव का विचार ही भ्रम को दूर कर देता है।
One who recites, memorizes and recites this stotra becomes eternally holy and gets the devotion of the great guru Shiva. There is no other way or way for this devotion. Just the thought of Shiva removes the illusion.
|| १७ ||
पूजा वसान समय दश वक्त गीतं , यः शम्भु पूजन परम् पठति प्रदोषे |
तस्य स्थिरां रथ गजेन्द्र तुरंग युक्तां , लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ||
प्रात: शिवपूजन के अंत में इस रावणकृत शिवताण्डवस्तोत्र के गान से लक्ष्मी स्थिर
रहती हैं तथा भक्त रथ, गज, घोड़े आदि सम्पदा से सर्वदा युक्त रहता है।
At the end of Shiv Puja in the morning, Lakshmi stabilizes by singing this Ravana's Shivtandavastotra.
and the devotee is always full of wealth like chariots, yards, horses etc.