उत्तराखंड का हो रहा इस्लामीकरण
आज हम बात करेंगे कि किस तरह उत्तराखंड का बड़ी तेजी से इस्लामीकरण हो रहा है। कुछ ही समय में मुस्लिमों की जनसंख्या में भारी मात्रा में वृद्धि देखी गई है हाल ही में कार्यक्रम के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड राज्य में गैरकानूनी तरीके से बसे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के सत्यापन का ऐलान किया है। उत्तराखंड राज्य के जनसंख्या समीकरण में हो रहे बदलाव पर चिंता जाहिर करते हुए संदिग्धों को चिन्हित करने का दावा भी किया है। नवंबर 2000 में उत्तराखंड राज्य का जब गठन हुआ था तो मुस्लिमों की जनसंख्या 2 प्रतिशत थी। वहीं 2011 के आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड राज्य में मुस्लिमों की जनसंख्या 2 से बढ़कर 14 प्रतिशत हो गई। अगर आज 2022 की बात करें तो जनसंख्या वृद्धि के सरकारी आंकड़े उपलब्ध नहीं है, लेकिन जानकारों की मानें तो उत्तराखंड में बड़ी तेजी से मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ती जा रही है। पहाड़ों में भी मुस्लिमों की जनसंख्या काफी मात्रा में देखने को मिल रही है। 2000 में उत्तराखंड में मुसलमान की जनसंख्या 2 प्रतिशत थी। यहां रहने वाले मुस्लिम गढ़वाली बोलते थे और यही की संस्कृति को मानते थे।
जब हरिद्वार को उत्तराखंड के साथ जोड़ा गया तो मुस्लिम की जनसंख्या बढ़कर 6 प्रतिशत हो गई। जानकारों का मानना है कि हाल ही में यूपी में योगी सरकार के आने के कारण बहुत संख्या पलायन हुआ है, जिसके कारण मुस्लिम की जनसंख्या बढ़कर 14 से 20 प्रतिशत हो गई। लेकिन यह पूरा सत्य नहीं है। सत्य यह है कि ये लोग उत्तराखंड का इस्लामीकरण की रणनिति से सुनियोजित ढ़ग से धीरे-धीरे उत्तराखंड में बसते जा रहे हैं। जिस तरह से जम्मू कश्मीर का इस्लामीकरण किया गया है उसी रणनिति से अब उत्तराखंड को भी करना चाहते हैं यही कारण है कि भारी मात्रा में मुस्लिम यहां आकर जा बस रहे हैं। उत्तराखंड में बसने वाले मुस्लिमों में बड़े व्यापारियों और नेता भी काफी संख्या में हैं। रोहिंग्या और बांग्लादेशी भी बहुत सारी मात्रा में नदियों के किनारे झुग्गियों को कब्जा करते हुए आगे फैलते जा रहे हैं। और सभी प्रकार के सरकारी दस्तावेज भी इन लोगों के पास मौजूद हैं। सवाल यह भी उठता है कि यह दस्तावेज उनके पास कैसे आए? उत्तराखंड के शहरों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या कालोनियां बन चुकी है। विकासनगर की बात करें तो विकास नगर विधानसभा में पहले 5000 हजार मुस्लिमा मतदाता हुआ करते थे लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर 30,000 हो चुकी है। अगर पूरे उत्तराखंड की बात करें तो लगभग 50,000 से ज्यादा बांग्लादेशी के मुस्लिम यहां बस चुके हैं। वही रोहिंग्या मुस्लिमों की जनसंख्या काफी हो चुकी है।
अगर पहाड़ों की बात करें तो उत्तरकाशी में भी मुस्लिम वोटर की जनसंख्या 5000 से ज्यादा हो चुकी है यहां कभी 150 से भी नहीं हुआ करती थी।ऑप इंडिया से बातचीत करते हुए स्वामी भारती बताते हैं कि बद्रीनाथ मुस्लिम बस गए थे बाद में हमने खाली करवाया। अष्चार्य तो तब हुआ जब एक बार मुस्लिम समाज ने बद्रीनाथ मंदिर कमेटी से अपने लिए जगह माँग ली थी। फिलहाल वहाँ फिर से बसना शुरू हो गए हैं क्योकि हम रोज रखवाली नहीं कर सकते। व्यापार में भी हिन्दू हार रहा है। उत्तराखंड झटका मीट के कारोबार के लिए ही जाना जाता था। आज हलाल मीट का कारोबार यहाँ फल फूल रहा है। हर दिन 25 करोड़ रुपए का हलाल मीट देहरादून में ही बिक रहा है। अन्य व्यापार में भी सब्जी, मीट, पंचर, नाई आदि सभी पर मुस्लिम काबिज है। अगर बात करें देहरादून शहर की दो उदाहरण के तौर पर रिस्पना के पास स्थित बंगाली कोठी से लेकर दून विश्वविद्यालय तक 1-2 को छोड़ गन्ने का रस, फल, सब्जी, बेचने वाले सभी मुस्लिम हैं। हरिद्वार के पास स्थित चिड़ियापुर में लाईन से खाने-पीने की दर्जनों दुकानें हैं। उन तमाम दुकानों के नाम बद्री केदार, गंगोत्री जैसे हिन्दू देवी देवताओं के नाम पर रखे गए हैं। लेकिन उनमे से मात्र 3 दुकानें हिन्दुओं की हैं। बाकी सभी मुस्लिम समुदाय की। देहरादून में कई मुस्लिम दुकानदार हिन्दू नाम रख कर दुकान चला रहे हैं। इसके अलावा फर्नीचर, वेल्डिंग, पानी, खनन और बिल्डिंग मैटेरियल के कामों में भी मुस्लिमों का प्रभुत्व हो गया है। आप देवभूमि में अपना घर बिना मुस्लिमों के सहयोग के नहीं बनवा सकते हैं। अब तो ये सोचना पड़ेगा कि मुस्लिमों का प्रभुत्व किस क्षेत्र में नहीं है।
स्वामी भारती ने अपने फेसबुक पेज पर रुद्रप्रयाग में फैजाज अहमद द्वारा चलाई जा रही फल की दुकान बद्री केदार ट्रेडर्स को शेयर भी किया है। स्वामी भारती बताते है कि केदारनाथ में भी 90 प्रतिषत घोड़े मुस्लिमों के चलते हैं। जिन हिन्दुओं के इन धंधों पर कब्जे जमाए गए वो हिन्दू अब नौकरी कर के बच्चे पाल रहे हैं। हिन्दुओं के हाथ से गए सभी काम थोक पैसे वाले थे जिसमें जिस में किसी भी तरह के टैक्स का झंझट भी नहीं था।
ऋषिकेश में हिन्दू युवा वाहिनी के पदाधिकारी अमन पांडेय ने ऑप इंडिया से बातचीत में बताया कि ऋषिकेश में भी कई मुस्लिम कारोबारी नाम बदल कर काम करते हैं। इसी कारण पहले जूस की एक दुकान इसी वजह से बंद हुई थी जो मुस्लिम हो कर अपना नाम हिन्दू बताता था।
1 अप्रैल 2022 को हरिद्वार में विश्व हिन्दू परिषद ने भी इस मुद्दे पर एक मीटिंग की थी। इस मीटिंग में हरिद्वार से मुजफ्फरनगर तक ढाबों और होटलों को मुस्लिम मालिकों द्वारा हिन्दू नाम से चलाने पर आपत्ति जताई गई थी। इस दौरान महालक्ष्मी होटल नाम से ढाबा चला रहे मुस्लिम व्यक्ति दिलशाद के नाम का खुलासा किया गया था। उस होटल में भगवा पट्टिका लगाई गई थी। इसके अलावा कई अन्य स्थानों का खुलासा किया गया था।
अभी हाल ही में उत्तरखंड के विधानसभा चुनाव 2022 में कान्ग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की बात करी थी। इसका व्यापक विरोध हुआ था। बाद में कान्ग्रेस ने इस बयान से पल्ला झाड़ लिया था। हालाँकि विरोध के बाद भी अप्रैल 2022 में उत्तराखंड के कान्ग्रेस कमेटी महासचिव अकील अहमद ने हर हाल में उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा की थी।
0 comments:
Post a Comment